
USA Tariffs: Impact and Opportunities for India (USA का टैरिफ: भारत पर प्रभाव और अवसर)
- ट्रम्प ने 6 अगस्त 2025 को एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें भारत पर अतिरिक्त 25% ‘secondary tariff’ लगाया गया।
- पहले से मौजूद 25% टैरिफ के साथ कुल 50% हो गया, और यह 21 दिनों (यानी लगभग 27 अगस्त) बाद प्रभावी होगा।
- अमेरिका अनुसार भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ और रूस से रक्षा-ऊर्जा सौदों पर दंडात्मक कदम है।
भारत पर प्रभाव:
- निर्यात में कमी: कपड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न जैसे क्षेत्रों पर नकारात्मक असर, जिससे 40 अरब डॉलर तक का निर्यात घाटा हो सकता है और जीडीपी वृद्धि में 1% तक की गिरावट हो सकती है।
- रुपए पर दबाव: टैरिफ से विनिमय दर पर असर, रुपए का अवमूल्यन हो सकता है।
- अन्य देशों से प्रतिस्पर्धा: वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देशों को टैरिफ लाभ मिलने से भारत की अमेरिकी बाजार में हिस्सेदारी घट सकती है।
- MSME को नुकसान: सीमित पूंजी वाले छोटे उद्यमों को विशेष जोखिम, खासकर वस्त्र व हस्तशिल्प क्षेत्र को नुकसान होगा।
- द्विपक्षीय संबंधों में तनाव: यूएस–भारत संबंधों को 25 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर आ गएहै। USA-पाकिस्तान गठजोड़ भी भारत के लिए चुनौती है।
भारत के लिए अवसर:
- घरेलू विनिर्माण में वृद्धि: ऑटो, इलेक्ट्रॉनिक्स और औद्योगिक उपकरण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता का अवसर।
- वैकल्पिक साझेदारों से जुड़ाव: ईयू, आसियान और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना।
- एफटीए को गति देना: भारत को विभिन्न देशों के साथ एफटीए के जरिए अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को संतुलित कर सकता है।
- MSME को प्रोत्साहन: ब्याज छूट, प्रोत्साहन जैसी योजनाओं के जरिए लक्षित सहायता।
- नीतिगत सुधार: ढांचा, रसद और ऊर्जा विश्वसनीयता में सुधार से भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत करना।
- नवाचार और उच्च मूल्य उत्पादन पर ध्यान: मात्रात्मक विस्तार के बजाय नए क्षेत्रों में विविधीकरण और मूल्यवर्धन को प्राथमिकता देना।
- सेवाएं और डेटा कूटनीति: टैरिफ से अप्रभावित डिजिटल क्षेत्र में भारत की मजबूती।
निष्कर्ष:
- भारत नवाचार, संरचनात्मक सुधार और रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति और मजबूत कर सकता है।