
USA से ट्रेड वार के बीच भारत-रूस संबंध
- हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल की है।
- भारत और रूस के बीच दशकों पुराना एक मजबूत रणनीतिक और विशेष साझेदारी है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- भारत और रूस (पूर्व सोवियत संघ) के बीच साझेदारी 1971 में मैत्री संधि से शुरू हुई, जो अब रणनीतिक और विशेषाधिकार प्राप्त साझेदारी के रूप में विकसित हो गई है।
महत्त्व
- वैश्विक भूमिका: दोनों देश BRICS, SCO और G20 जैसे बहुपक्षीय मंचों पर एक साथ काम करते हैं, जिससे वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूती मिलती है।
- रणनीतिक महत्व: रूस भारत के लिए रक्षा उपकरण, परमाणु ऊर्जा और तेल आपूर्ति का प्रमुख साझेदार है, जबकि भारत रूस के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और कूटनीतिक सहयोगी है।
- पहलवागाम हमले पर समर्थन: रूस ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के बाद भारत का समर्थन किया।
- पुतिन की भारत यात्रा: राष्ट्रपति पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मुलाकात: 7 अगस्त 2025 को NSA अजित डोभाल ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से क्रेमलिन में मुलाकात की।
- रूसी तेल आयात: रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद, भारत रूस से कच्चे तेल का प्रमुख आयातक बन गया। 2024 में भारत ने 1.97 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल आयात किया, जिससे आर्थिक रूप से लाभ मिला।
- अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव: अमेरिका ने भारत पर रूसी तेल आयात के लिए अतिरिक्त शुल्क लगाया, जिसे भारत ने नजरअंदाज करते हुए रूस से तेल व्यापार जारी रखने का संकल्प लिया।
चुनौतियां
- भू-राजनीतिक दबाव: अमेरिका और पश्चिमी देशों का दबाव भारत को रूस के साथ रिश्ते को संतुलित रखने के लिए मजबूर करता है।
- आर्थिक जोखिम: रूसी तेल पर निर्भरता भारत को वैश्विक तेल मूल्य अस्थिरता और प्रतिबंधों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
- रक्षा आपूर्ति में देरी: रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण S-400 मिसाइल प्रणाली जैसी रक्षा आपूर्ति में देरी हुई है।
- वैश्विक ध्रुवीकरण: भारत को रूस और पश्चिमी देशों के बीच तटस्थता बनाए रखने की चुनौती का सामना है।
आगे की राह
- विविधीकरण और संतुलन: भारत को रूस से तेल आयात के बजाय अन्य क्षेत्रों से आयात बढ़ाने और स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर देना चाहिए।
- कूटनीतिक संतुलन: भारत को बहुपक्षीय मंचों का उपयोग करके रूस और पश्चिमी देशों के बीच तटस्थता बनाए रखनी चाहिए।
- आर्थिक सहयोग: रूस के साथ व्यापार को प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बढ़ाना चाहिए।
- संघर्ष समाधान में भूमिका: भारत रूस-यूक्रेन संघर्ष में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है, जैसा कि पीएम मोदी ने 2024 में सुझाव दिया था।
- विशेषज्ञ समितियां: दोनों देशों को रक्षा, ऊर्जा और व्यापार में सहयोग को और गहरा करने के लिए संयुक्त कार्य बल गठित करना चाहिए।