
Landslide
- हाल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा भारत में भूस्खलन-प्रवण ज़िलों के सन्दर्भ में उपग्रह प्रदत डेटाओं को जारी करत हुए रुद्रप्रयाग और टिहरी गढ़वाल को देश के सबसे अधिक भूस्खलन-प्रवण ज़िलों के रूप में चिह्नित किया हैं।
- उपग्रह प्रदत डेटाओं के अनुसार देश के कुल भूमि क्षेत्र का 12.6% अर्थात 0.42 मिलियन वर्ग किलोमीटर भू-स्खलन संभावित क्षेत्र है।
- इन आकड़ों के अलावा केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2015 से 2022 के दौरान विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में मानसून के दौरान भूस्खलन की 3,782 घटनाएं हुईं इनमें सबसे ज्यादा घटनाएं केरल में हुई है।
भूस्खलन:-
- भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना जो धरातली हलचलों व गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव के कारण आधारहीन हुई चट्टाने, मिट्टी एवं वनस्पति पहाड़ी ढलानों से गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में अपने स्थान से खिसककर नीचे गिरते हैं।
- भूस्खलन की घटना प्राय: पहाड़ी इलाकों में सर्वाधिक घटित होती है।
भूस्खलन के कारण:-
- भूस्खलन के लिए उत्तरदायी कारणों को दो भागों में बाटकर देखा जा सकता है-
- प्राकृतिक कारण
- मानवीय कारण
- प्राकृतिक कारण
- प्राकृतिक कारण- इसके अंतर्गत निम्न को रखा जाता है-
- चट्टानों के आधार का कमजोर होना होना।
- नदियों द्वारा होने वाला अत्यधिक अपरदन।
- कम समय में भारी वर्षा का होना।
- पर्वतों का तीव्र ढलान होना।
- भूकम्पीय गतिविधियों का होना।
- गुरुत्वाकर्षण शक्ति
- मानवीय कारण- इसके अंतर्गत निम्न को रखा जाता है-
- पहाड़ों पर अनियंत्रित खुदाई या खनन क्रियाओं को किया जाना।
- वनों की अंधाधुंध कटाई किया जाना।
- आधारहीन चट्टानों के ऊपर भारी निर्माण कार्य का किया जाना।
भूस्खलन के प्रभाव:-
- भूस्खलन का प्रभाव क्षेत्र अपेक्षाकृत स्थानीय से लेकर वृहत हो सकता है हालांकि भूस्खलन की तीव्रता एवं बारंबारता इसे विध्वंसकारी बना देती है।
- भूस्खलन के प्रभाव-
- मानव संसाधन का नुकसान होता है।
- अवसंरचना (सड़के, पुल, बाँध) की क्षति होती है।
- कृषि उपज का नष्ट हो जाती है।
- जैव विविधता की क्षति होती है।
- बाढ़ की संभावना बढ़ती है।
- नदियों के प्राकृतिक बहाव मे बाधा आती है।
भूस्खलन रोकथाम के उपाय:-
- भूस्खलन संवदेनशील भागों में वृक्षारोपण को बढ़ावा देते हुए वनों की अत्यधिक कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
- भूमि प्रतिरूप में बदलाव को नियंत्रित करना चाहिए।
- तीव्र ढालों में जल निकासी के लिए उचित प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए।
- स्थानांतरित कृषि की अपेक्षा स्थाई और सीढ़ीनुमा कृषि प्रणाली को अपनाना।
- खनन व उत्खनन क्रिया को नियंत्रित करना चाहिए।
राष्ट्रीय भू-स्खलन ज़ोखिम प्रबंधन रणनीति:-
- यह भारत सरकार भू-स्खलन ज़ोखिम से निपटने के सन्दर्भ में रणनीतिक दस्तावेज़ है जो भू-स्खलन आपदा ज़ोखिम में कमी और प्रबंधन के सभी घटकों को संबोधित करता है।
- राष्ट्रीय भू-स्खलन ज़ोखिम प्रबंधन रणनीति के महत्त्वपूर्ण घटकों के रूप में भूस्खलन जोखिम क्षेत्र चिह्न, भूस्खलन निगरानी व चेतावनी प्रणाली की स्थापना, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण आदि सम्मिलित है।
- इसके अलावा भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान परिषद (यूके) की वित्तीय सहायता और ब्रिटिश भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (बीजीएस) के सहयोग से भारत के लिए एक प्रोटोटाइप क्षेत्रीय भूस्खलन-पूर्व चेतावनी प्रणाली सिस्टम (एलईडब्ल्यू) विकसित की है।
- वर्तमान में इस प्रणाली का दो जगह पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में और तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में प्रक्षिशण किया जा रहा है।